सोमवार, 28 अक्तूबर 2013

प्रकाशपर्व


प्रकाशपर्व
- प्रेम रंजन अनिमेष


जगमग जगमग झिलमिल झिलमिल
लगन लगाये दीये और दिल
एक दूसरे से यों हिलमिल
जलते तिल तिल हँसते खिल खिल

घर रोशन हो आँगन रोशन
धरा गगन यह पावन रोशन
हर तन रोशन हर मन रोशन
जग रोशन हो जीवन रोशन

चले हवा जलती लौ रखना
सदा सजग ऊँची लौ रखना
प्रखर सधी सीधी लौ रखना
सबमें इक अपनी लौ रखना

अंतर रोशन आनन रोशन
नातों के वातायान रोशन
कोना कोना कण कण रोशन
रातें दिन मनभावन रोशन