बड़े ही हर्ष
का विषय है कि बच्चों के लिए लिखी मेरी कविताओं का संग्रह ‘माँ का जन्मदिन’
प्रकाशन विभाग, नयी दिल्ली से छप कर आया है !
बच्चों
के लिए लिखना एक चुनौतीपूर्ण काम है और अच्छे लेखक का कर्त्तव्य भी ! सृजन जगत और पूरे समाज का यह उत्तरदायित्व है कि नयी उम्र की नयी आँखों के लिए
अच्छा और सच्चा साहित्य सहज उपलब्ध हो । भारतीय ज्ञानपीठ से वर्ष 2004 में प्रकाशित मेरी दूसरी कविता पुस्तक 'कोई नया समाचार' इस अर्थ में एक नयी पहल रही कि उसमें सारी कवितायें बच्चों को लेकर लिखी
गयी हैं... बच्चों और बचपन के बहाने जीवन और जगत के बड़े फलक को देखने समझने की कोशिश की तरह ! इस संग्रह को बहुत सराहना मिली और कई
जानकारों ने इसे सूर के बाद पहली बार बाल मन के इतने सहज जीवंत विलक्षण और
बहुआयामी रूप उजागर करने वाला अनूठा काव्य माना ! तभी यह ख़याल आया कि बच्चों को माध्यम बना कर तो इतनी सारी
कवितायें लिख लीं... कुछ उनके
लिए भी लिखूँ ।
उसी का
परिणाम है यह बाल कविता संग्रह ' माँ का जन्मदिन ' ! आठ पंक्तियों के एक अभिनव शिल्प में रची इसकी नन्ही नन्ही कवितायें दिल
को छूने वाली हैं और उतनी ही कौतुक भरी जिस तरह स्वयं
बाल मन ! छंद में होने के चलते ये सहज ही याद हो
जाने वाली हैं और गेयता के चलते इन्हें पढ़ने के साथ साथ गाकर भी सुना सुनाया जा
सकता है । इस संग्रह में बच्चों का बचपन और उनके आसपास का परिवेश और संसार इतनी
रोचकता और अपनेपन के साथ आया है कि सबके मन को बरबस मोह लेता है ! विश्वास है सुन्दर चित्रों के साथ अभिनव अनुभव लोक रचती ये सार्थक और सुरुचिपूर्ण कवितायें
बच्चों को विशेष रूप से भाएँगी ! आग्रह होगा कि यह किताब बच्चों को अवश्य पढ़ने के
लिए दें ताकि दृश्य माध्यमों व अंग्रेजियत से आक्रांत बाल मन का अपनी जमीन व भाषा की
सृजनशीलता से साक्षात्कार हो !
‘अखराई’ में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपने सद्य:प्रकाशित इसी संग्रह से शीर्षक कविता
‘माँ का जन्मदिन’ व दो और कवितायें । संयोग से
मेरे युगल-बालगोपाल अनुभव उत्कर्ष एवं अभिनव
उन्मेष का जन्मदिन भी है आज ! तो यह बाल कविता संग्रह उनके लिए और उनकी ओर से संसार
के सारे बच्चों को उपहारस्वरूप...
~ प्रेम रंजन अनिमेष