शनिवार, 30 नवंबर 2019

तेजपत्ता




'अखराई'  में  इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी यह  कविता  ' तेजपत्ता '

         प्रेम रंजन अनिमेष  
  

तेजपत्ता 



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सूखे पत्तों की तरह लगते 
पढ़ने वाले बच्चे आजकल के 
किताबों बस्ते और उम्मीद से दबे 
और होड़ गजब की लगी आपस में  
कि तेजपत्ता बनकर कौन निकलता है...? 


 प्रेम रंजन अनिमेष