शनिवार, 21 जून 2014

एक स्मरणीय काव्य यात्रा


5 जून को ट्यूबिंगन यूनिवर्सिटी और 14 जून को स्टुटगार्ट, जर्मनी में आयोजित एकल काव्य पाठ मेरे लिए  देश से बाहर कविता पढ़ने का पहला सुयोग था I  वहाँ सुन कर लोग  जिस तरह अभिभूत हुए  उसे मैं भारतीय कविता की सफलता मानता  हूँ  I स्टुटगार्ट में डेढ़ घंटे  के कार्यक्रम के लिए आये  लोग तीन घंटे तक रुके रहे ( विश्व कप फुटबॉल को बिसार कर ) कवितायेँ सुनते और उनके बारे में बात करते I उन सबका धन्यवाद कवितायेँ इतने लगन और मनोयोग से सुनने और सराहने के लिए I  साथ ही  वहाँ ट्यूबिंगन विश्वविद्यालय भारतीय भाषा विभाग में प्राध्यापक के रूप में कार्यरत अपने  अत्यंत आत्मीय सुहृद दिव्यराज अमिय का आभार इसके लिए रात दिन एक कर  मेरी कविताओं का जर्मन में अनुवाद करने, अपने मित्र परिजन सहयोगियों के संग कार्यक्रम की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित करने और मेरी इस यात्रा को एक स्मरणीय काव्य यात्रा बनाने के लिए I दिव्यराज ने  काव्यपाठ की लिए मेरी 25~30 कवितायेँ (प्रकाशित तीन कविता संग्रहों में से हरेक से 5 ~ 6  और शेष अन्य असंकलित कविताओं में से चुन कर) जर्मन में अनूदित कीं I कार्यक्रम की रूपरेखा की अनुसार पहले मैं हिंदी मूल में अपनी कविता पढ़ता और तत्पश्चात दिव्यराज उसका जर्मन अनुवाद I श्रोताओं ने  अनुवाद के बाद फिर से मूल पाठ को सुनाने का आग्रह किया  यह कह कर कि उन्हें कविताओं के अर्थ के साथ साथ उनके मूल पाठ की लय और ध्वनि भी बहुत अच्छी लग रही है I ये  निश्चय ही  यादगार  शामें थीं जिनके लिए एक बार पुनः दिव्यराज को धन्यवाद और आगे जर्मन में मेरी कविताओं के संकलन (Anthology ) तैयार करने के दिव्यराज की योजना के लिए शुभकामनाओं सहित इस बार जर्मनी में पढ़ी गयी  कविताओं में से यह कविता 'शिनाख्त' जो मेरी वृहद कविता श्रृंखला 'अच्छे आदमी की कवितायेँ ' की एक कविता है और  मित्र को खास तौर पर पसंद है
                                                                                   ~ प्रेम रंजन अनिमेष

शिनाख्त 

अच्छा होना
जंग छुड़ाना है
लोहे के औजार से
या सोने का पानी चढ़ाना
पीतल के पात्र पर ?

वह नारियल के फल का
निकलना है खोल से
जल का उबलना
लपटों का लौ में ढलना
या नदी का घर चलना ?

मिट्टी होना कि मूरत
मूठ कि नोक
अच्छा होना
पेड़ होना है
कोयला
या हीरा ?

होना अच्छा
होना है
या रहना

सजाना
या सँजोना...?

क्या इसमें
ऐसा कुछ है
जो औरों को हो बताना
और अपने को समझाना...?