कविता के साथ
अकसर होती यह बात
कि वह रचा जिसे कभी पहले
बाद बरसों के
किसी समय
हठात
आकर खड़ी हो जाती
कवि के सामने
साक्षात
धीरे से चुपचाप
कंधे पर रखती हाथ...
सितंबर की 29 तारीख है आज । माँ को गुजरे
हो गये दो महीने । अपनी इस कविता की तरह ही कभी कॉलेज के दिनों में लिखी कुछ ग़ज़लों
के अशआर आकर छू गये । वही कुछ ग़ज़लें अपनी रख रहा हूँ सामने इस बार
प्रेम रंजन अनिमेष
( 1 )
क्या दवा वक्त से ले ली
होगी
घर में माँ कितनी अकेली
होगी
वो जो सिमटी सी सजी
सी दुल्हन
ख़ुद की
ख़ातिर भी
पहेली होगी
आज लगती है
जो पुरखन जैसी
साथ अपने कभी
खेली
होगी
कोई रूठा तो मना
लो
उसको
अभी कुट्टी अभी मेली होगी
प्यार को
ज़िंदा अगर रख पाये
दिन नया रात नवेली होगी
फिर तेरी ख़ाक में ही क्यों न सने
कहीं चादर तो ये मैली
होगी
फूल जंगल में कोई मुसकाया
दूर ख़ुशबू कहीं फैली होगी
दिल में दुनिया को बसाये बैठे
जेब में धेली अधेली होगी
होंठों पर होंठ भी रख सकते हो
क्यूँ परेशां ये हथेली होगी
मौत आती है तो आये 'अनिमेष'
ज़िंदगी की
ही
सहेली होगी
( 2 )
जब शहर में चहल पहल होगी
कहीं गुमसुम कोई ग़ज़ल होगी
फिर भी होंठों को जोड़ होंठों से
कोई मुश्किल न इससे हल होगी
दो बड़ों को जो साथ ले आयी
किसी बच्चे की इक चुहल होगी
अगले पल बाँहों में समायेगी
ज़िंदगी रूठी
पहले पल होगी
भीड़ में छोड़ ना ऐ तनहाई
तू नहीं तो भी दरअसल होगी
कोई गिरता है तो उठाने की
कोई कोशिश न आजकल होगी
दिल रहा भी तो दिल
की अच्छाई
कल वही पहले बेदख़ल होगी
ख़ाली कर
दो बिसात के ख़ाने
बादशाहों की शह बदल होगी
बेवफ़ाओं को भी वफ़ा देना
ये भी अपने में इक
पहल होगी
मंज़िलें सबको कब
मिलें 'अनिमेष'
साथ आ राह कुछ सहल होगी
( 3 )
इतने पे छोड़ जा कि किनारा दिखाई
दे
जब रात
हो तो राह का तारा दिखाई दे
इक सच्ची आशिक़ी की ये दुनिया मिसाल है
फिर कैसे इसको
जिसने सँवारा
दिखाई दे
दिल घर ही ऐसा है कोई पहरे दे कितने ही
खिड़की कहीं खुले तो ये
सारा दिखाई
दे
निकला है चाँद जो उसे
भर लो निगाह में
क्या ठीक है कि कल वो दुबारा
दिखाई दे
ठिठकी रहीं इक उम्र तलक कितनी
कश्तियाँ
कब उस तरफ़ से कोई इशारा दिखाई
दे
दिल जानता है अब नहीं वो पहले जैसी बात
पर दूसरों को क्यों ये
नज़ारा दिखाई
दे
धोखा बहुत बड़ा हुआ है कोई समझना
कहीं और गरचे अक्स हमारा दिखाई
दे
पलकों पे होंठ रख के अज़ल ले के जाय जब
हर पल जो हमने साथ गुज़ारा दिखाई
दे
आँखों की ये ख़राबी या 'अनिमेष' और
कुछ
पीने से पहले पानी ये खारा दिखाई दे
प्रेम रंजन अनिमेष