रविवार, 29 जुलाई 2018

जीवन सावन





अखराई में इस बार साझा कर रहा अपनी यह कविता जीवन सावन 
                          ~ प्रेम रंजन अनिमेष 
जीवन सावन

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सावन जनम हुआ था मेरा...
कभी कभी यह कहती थी माँ
इतना भर था याद उसे अपना

पूरा नहीं जानता लेकिन
भरा हुआ जरूर वह जीवन
थे जिसमें सावन ही सावन

काश कि होता जीवन और

रह जाती जो कुछ दिन और
जी लेती इ‍क सावन और...