‘अखराई’ में इस बार साझा कर रहा अपनी यह
कविता ‘जीवन सावन’
~ प्रेम रंजन अनिमेष
जीवन सावन
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सावन जनम हुआ था मेरा...
कभी कभी यह कहती थी माँ
इतना भर था याद उसे अपना
पूरा नहीं जानता लेकिन
भरा हुआ जरूर वह जीवन
थे जिसमें सावन ही सावन
काश कि होता जीवन और…
रह जाती जो कुछ दिन और
जी लेती इक सावन और...