नौ महीने
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~ प्रेम रंजन अनिमेष
माँ आज तुम्हें गुजरे
पूरे नौ महीने हो गये
नौ महीनों में
नया जीवन रच जाता
नया जन्म मिल जाता
नया जन्म मिल जाता
तुम्हें भी मिला होगा
पर कहाँ किस तरह नहीं जानता
लेकिन मुझे मिल गया
जन्म नया
इन नौ महीनों में
तुम्हारी स्मृतियों ने
फिर से
रच डाला मुझे
नये सिरे से
अब देखो कैसे
नये जाये सा मैं
किलकता बिलखता
तुम्हारे ममत्व पय के लिए
होंठ खोले
इस दुनिया में...