बुधवार, 21 मई 2014

पहले कविता संग्रह 'मिट्टी के फल' से एक कविता ~ ' बच्चे की स्लेट पर लिखे कुछ सवाल '


पहले दोनों संग्रह 'मिट्टी के फल' और 'कोई नया समाचार', जो क्रमश: प्रकाशन संस्‍थान एवं भारतीय ज्ञानपीठ से 2001 व 2004 में आये थे, जल्‍दी ही आउट ऑफ प्रिट हो गये और फिलहाल अनुपलब्‍ध हैं । कई लोग अब भी इन संग्रहों को ढूँढ़ते हैं और न मिलने पर निराश होकर सूचित करते हैं । दोनों ही प्रकाशकों से आग्रह किया है । देखें वे पुनर्मुद्रण कब करवाते हैं और किताबें कब तक उपलब्‍ध होती हैं ! इस बार पहली किताब से यह कविता ' बच्‍चे की स्‍लेट पर लिखे कुछ सवाल '  जो बहुत से लोगों की विशेष पसंद है
                                    - प्रेम रंजन अनिमेष


बच्चे की स्लेट पर लिखे कुछ सवाल



              


क्या सच में एक दिन
स्वच्छ जल रह जाएगा केवल नारियल में
और ख़ाली बाँस के खोल में साँस की हवा

क्या बस जुगनुओं में रह जाएगी सच की लौ
और उर्वर  मिट्टी केंचुओं के बिल में

श्यामपट इतना बड़ा कोरा फ़ैला हुआ
और ज़रा-सी खड़िया नहीं होगी
'
छुट्टी' लिखने के लिए भी

क्या सच में एक दिन
झींगुरों के पास ही रह जाएगी पुकार
और चिड़ियों को भी
सुबह होने का पता नहीं चलेगा