बड़ी दीदी के जाने के बाद यह दूसरा रक्षाबंधन है । उसे याद करते
हुए यह छोटी सी कविता...
~ प्रेम रंजन अनिमेष
अबके सावन...
क्या कहीं
कोई आँख नम है ?
कोई आँख नम है ?
अबकी राखी में
मेरी कलाई पर
एक धागा कम है...