आने वाले नववर्ष की अशेष शुभकामनाओं के साथ 'अखराई' में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी कविता ' साल का आख़िरी दिन...’
~ प्रेम रंजन अनिमेष
साल का आख़िरी दिन
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साल का आख़िरी दिन है...
मिल लो जिससे नहीं मिले
जाओ जिस घर नहीं गये
कर लो जो कुछ नहीं किया
जी लो जितना नहीं जिया
पढ़ो पाठ जो नहीं पढ़ा
गढ़ो अभी जो नहीं गढ़ा
गह लो हाथ बढ़ा आगे
जोड़ो टूट गये धागे
सुन लो क्या कह रहा हिया
बालो भर कर नेह दिया
कह दो सच जो नहीं कहा
फिर सपना इक जाग रहा
रच दो पन्ना खोल नया
सूरज इक अनमोल नया
जाता दे सौग़ात गया
आने वाला साल नया
शुभ मंगलमय साल नया...
~ प्रेम रंजन अनिमेष