नये साल की शुभकामनाओं के साथ इस बार
अपनी यह कविता 'ठिठकना' प्रस्तुत कर रहा हूँ
जो बहुत से लोगों को बहुत बहुत पसंद है
~ प्रेम रंजन अनिमेष
ठिठकना
एक
मिनट के लिए
किसी का हाल पूछने रुकूँगा
और बारिश में घिर जाऊँगा
एक मिनट
राह बताने लगूँगा अजनबी को
और गाड़ी छूट जायेगी
एक मिनट थमकर
एक वृद्ध को सड़क पार कराऊँगा
और काम पर मेरी हाज़िरी कट चुकी होगी
फिर भी चलते चलते
ठिठकूँगा
एक मिनट के लिए
कि चौबीसों घंटे में अब
इसी एक मिनट में
बची है ज़िन्दगी... !
किसी का हाल पूछने रुकूँगा
और बारिश में घिर जाऊँगा
एक मिनट
राह बताने लगूँगा अजनबी को
और गाड़ी छूट जायेगी
एक मिनट थमकर
एक वृद्ध को सड़क पार कराऊँगा
और काम पर मेरी हाज़िरी कट चुकी होगी
फिर भी चलते चलते
ठिठकूँगा
एक मिनट के लिए
कि चौबीसों घंटे में अब
इसी एक मिनट में
बची है ज़िन्दगी... !