‘अखराई’ में इस बार प्रस्तुत कर रहा अपनी कविता ‘आजादी
की सालगिरह पर…’ !
आशा है पसंद आयेगी
~ प्रेम रंजन अनिमेष
आजादी की सालगिरह पर
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आजादी की सालगिरह पे
निकल पड़े बच्चे अधनंगे
ओस आस भरकर ऑंखों में
लिये हुए कागजी तिरंगे
उसी उमर के हैं जो बच्चे
लेकिन खाते पीते अच्छे
सजी धजी पोशाकें पहने
उनको ये झंडे बेचेंगे
झंडे ले लहरा लहरा कर
बच्चे वे झूमे गायेंगे
बेच सके जो ये बेचारे
आज शाम कुछ खा पायेंगे
वरना पिछली बारी जैसे
यूँ ही रहे उदास तिरंगे
तो क्या फिर दिन और एक ये
रह जायेंगे भूखे नंगे
दिन अपनी आजादी का है
क्या इतनी छोटी चिंतायें
सब मिल जुल कर खुशी मनायें
जन-गण-मन गायें दुहरायें… !
प्रेम रंजन अनिमेष