नववर्ष
की शुभकामनाओं सहित 'अखराई' में इस बार प्रस्तुत कर रहा नये साल पर अपनी यह कविता
'नया साल इस तरह मनायें... '
~ प्रेम रंजन अनिमेष
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रस्ता देख रहे जो कबसे
उनके घर हो आयें जायें
पंछी जो चहचहा रहे हैं
तिनके उनके लिए सजायें
आँखें जो हैं भरी भरी सी
उनके होंठों से मुसकायें
फूल खिले हों डाली डाली
ख़ुशबू के ख़त लिये हवायें
बेघर बूढ़ों बेचारों को
जीने का आसरा दिलायें
खेल खिलौने दें बच्चों
को
सच सपनों का पाठ पढ़ायें
नेकी अच्छाई सच्चाई
रचें बचायें और बढ़ायें
जीवन जेवन संग साथ हो
साझे चूल्हे चल सुलगायें
रोशन हो हर कोना कोना
लौ ऊँची कर दिये जलायें
बैर न कोई
ग़ैर न कोई
दुनिया ऐसी नयी बनायें
जीवन चाहत मेल मुहब्बत
संदेसा जग में
फैलायें
आखर मधुर प्रेम के ‘अनिमेष’
सब सीखें हिल मिल दुहरायें
बरस नया इस तरह बनायें
शुभ मंगल का राग जगायें
~ प्रेम रंजन अनिमेष