गुरुवार, 5 जनवरी 2017

कविता संग्रह 'बिना मुँडेर की छत' से कविता 'नवान्न'


नया साल... नया कविता संग्रह

नव वर्ष की अनेक शुभकामनायें !

नये साल में नया समाचार यह है कि मेरा नया कविता संग्रह  'बिना मुँडेर की छत' राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हो गया है ! दिल्ली के मित्र 7 जनवरी से नयी दिल्ली में शुरू हो रहे विश्व पुस्तक मेले में राजकमल के स्टॉल से इसे प्राप्त कर सकते हैं । आपसे अनुरोध है कि इस कविता संग्रह को अवश्य पढ़ें और इसके बारे में बतायें । आपका स्नेह सदैव मिलता रहा है । इसे बनाये रखेंगे । 

नये वर्ष के अवसर पर इस नये कविता संग्रह 'बिना मुँडेर की छत' से उसकी पहली कविता 'नवान्न' आपके साथ साझा कर रहा हूँ ।

एक बार पुनः बहुत बहुत शुभकामनाओं के साथ

                                     ~ प्रेम रंजन अनिमेष 



नवान्न

नये कवि तुम्हारे पास नया क्या है ?


नयी है मेरी कलम
इसकी रोशनाई
नया यह कोरा पन्ना


नया है नयी आँखों के नये पानी में तिरता सपना
नये पंखों में भरी नयी हवा
नये तिनके सजावट इनकी नयी


नयी मिट्टी के नये गन्ने का नया रस
पाग जो बन रहा कब से अभी अभी पका है
अभी अभी मैंने इसे चखा है


नयी है मेरी बेचैनी मेरी छटपटाहट
मेरी हूक मेरी कूक मेरी चहक नयी

नया है मेरा अदेखा मेरा अजाना मेरा अनकहा


दुख तो वही बरसों बरस पुराना हजार बाँहों वाला
पर अभी अभी जनमा है मेरे यहाँ


उसकी धमक नयी है
उसकी किलक नयी...



4 टिप्‍पणियां:

  1. उसकी धमक नयी है
    उसकी किलक नयी...

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  2. दुख तो वही बरसों बरस पुराना हजार बाँहों वाला
    पर अभी अभी जनमा है मेरे यहाँ


    उसकी धमक नयी है
    उसकी किलक नयी...

    उम्दा

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर ,सार्थक रचना....
    वाह!!!!

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह
    बहुत सुंदर
    शुभकामनाएँ

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