बुधवार, 31 अगस्त 2022

रहने दे...

 

'अखराई' के इस भाव पटल पर इस बार साझा कर रहा हूँ अपने आने वाले कविता संग्रह ' अंतरंग अनंतरंग ' से अपनी यह कविता  रहने दे...  । आशा है पसंद आयेगी

                               ~ प्रेम रंजन अनिमेष


रहने दे

µµ

 

पहले पहले

होंगे कितने

पर आखिर में 

 

तू ही रहेगा 

मेरे लिए 

मैं तेरे लिए 

 

अगर जिंदगी 

दोनों को

रहने दे

 

उतने दिन

रहने दे

 

साथ साथ 

रहने दे...

                                

( आगामी कविता संग्रह ' अंतरंग अनंतरंग ' से )

 

                          µ

 

इसी कविता की दृश्य श्रव्य प्रस्तुति इस लिंक पर देखी सुनी सराही जा सकती है :

 

https://youtu.be/LsgSZ0My32Q 

 

                        प्रेम रंजन अनिमेष 



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